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Showing posts from September, 2018

प्रमुख संधि कवि और कवि त्रयी

👉 आदिकाल और भाक्तिकाल के संधि कवि- विद्यापति 👉भाक्तिकाल और रीतिकाल के सन्धि कवि जगन्नाथ दास रत्नाकर 👉भाक्तिकाल और आधुनिक काल के सन्धि कवि सत्यनारायण 👉 आधुनिक युग और द्विवेदी युग के संधि कवि बालमुकुन्द 👉 रीतिकाल कवि त्रयी केशव, बीहारी, भूषण 👉प्रगतिवादी त्रयी शमशेर, नागार्जुन त्रिलोचन 👉छायावाय की वृहद त्रयी प्रसाद पंत निराला 👉छायावाद की लघुत्रयी महादेवी वर्मा रामकुमार वर्मा भगवती चरण वर्मा 👉नयी कहानी आन्दोलन की त्रयी राजेन्द्र यादव कमलेश्वर मोहन राकेश

महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्र० भाग -2

शब्द सम्राट कोश किसे कहा जाता है? बाबू श्यामसुन्दर दास को 👉हिन्दी का टेनिस किसे कहा जाता है? जगन्नाथ दास 👉आधुनिक रहिम किसे कहते है? मिर्जा नासिर हसन 👉हिन्दी साहित्य का महारथी किसे कहते है? आचार्य रामचन्द्र शुक्ल को 👉हिन्दी का मिल्टन किसे कहते है? बिहारी 👉ब्राहमणवादी समीक्षक किसे कहते है? र ामचन्द्र शुक्ल को 👉स्वर्ण विहान हरिकृष्ण प्रेमी की पद्य नाटिका है।

परीक्षा की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण प्रश्न /उत्तर भाग -1

👉किस रचनाकार को 'कृषक संस्कृति का प्रमुख गायक कहा गया है ? प्रेमचन्द 👉आधुनिक हिन्दी मे कौनसी विधा को बोध कथा के रूप में जाना जाता है? लघुकथा 👉हिन्दी साहित्य में किस रचनाकार को 'बीसवीं सदी में वैदिक युग का मॉडल कहा गया है ? सियाराम शरण गुप्त को 👉पाण्डेय बैचेन शर्मा उग्र ने ' आज' में किस नाम से कहानियां लिखी ? अष्टावक्र 👉किस साहित्य कार को भैया साहब कहा जाता है ? श्रीनारायण चतुर्वेदी को 👉हाथी की फांसी किसकी कहानी है? गणेश शंकर विद्यार्थी हिन्दी साहित्य के विषय में ज्यादा से ज्यादा जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग पर विजिट और कमैंट करे hindisahityarenu.blogspot. in

विभिन्न महत्वपूर्ण काव्य ग्रन्थो में सर्ग

👉वैदेही बनवास -18सर्ग 👉पारिजात -15सर्ग 👉सिद्धार्थ -18सर्ग 👉हल्दीघाटी -17सर्ग 👉कृष्णायन-7काण्ड 👉म हा मानय- 15सर्ग 👉कुरूक्षेत्र -7सर्ग 👉जौहर -21सर्ग 👉विक्रमादित्य-44सर्ग 👉आर्यावर्त -13सर्ग 👉द्रोपदी-5सर्ग 👉भूमिजा -8सर्ग 👉नूरजंहा -18सर्ग 👉कामायनी-15सर्ग 👉साकेत -12सर्ग

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण डायरी शैली तथा पत्रात्मक शैली में लिखे गए उपन्यास

👉द्वाभा-प्रभाकर माचवे 👉शह और मात -राजेन्द्र यादव 👉अपने अपने अजनवी-अज्ञेय 👉जयवर्धन-जैनेन्द्र 👉अजय की डायरी-देवराज उपाध्याय 👉मुन्नी की डायरी-प्रसन्न राय पत्रात्मक शैली में लिखे गए उपन्यास 👉चन्द हसीनों के खतूत -पत्रात्मक शैली में लिखा गया प्रथम उपन्यास। 👉नदी के द्वीप 👉समाज की वेदी पर -अनूपलाल मंडल

नेट के लिए महत्वपूर्ण उपन्यासों के विषय

👉प्रेत बोलते है- प्रेम और असफल दाम्पत्य -जीवन का चित्रण हुआ है। 👉सारा आकाश - प्रेत बोलते है उपन्यास का नया नामकरण 👉दिल्ली दूर है- धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों क समन्वय की कहानी। 👉नीला चाँद- भारतीय इतिहास के मध्यकाल की काशी का चित्रण। 👉कुहरे में युद्ध- जुछौनी (बुंदेलखण्ड )में मुस्लिम आक्रान्ताओं की कहानी। 👉अंतिम निर्णय- बुढ़ापे और मृत्यु से जुड़ी मिस्टर मेहरा नामक पात्र की संवेदनाओं का अंकन। 👉यात्राएं- पति पत्नी के बीच की मानसिक दूरी,अलगाव का चित्रण। 👉चिडिय़ाघर- रोज़गार -दफ्तर की जिन्दगी का यथार्थ।

एन टी ए नेट की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण प्रमुख उपन्यासों की शैली

भाग्यवती - किस्सागो शैली निस्सहाय हिन्दू - नाटकीय शैली श्यामा स्वप्न - स्वप्न शैली प्रणयिनी परिणय- गद्यकथा की अलंकृत शैली वे दिन - अस्तित्ववादी शैली बाबा बटेसर नाथ - फंटेसी शैली देवरानी जेठानी की कहानी- किस्सागो शैली वामा शिक्षक- किस्सागो शैली

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपाधियां

👉उपमा का बादशाह- देव 👉विरोधाभास का बादशाह - घनानन्द 👉हेतुत्प्रेक्षा का बादशाह - जायसीं 👉रूपकों का बादशाह - तुलसी 👉अनुप्रास का बादशाह- तुलसी 👉उत्प्रेक्षा का बादशाह - तुलसी 👉श्लेष का बादशाह- सेनापति

महत्वपूर्ण कथन रामचन्द्र शुक्ल के निबन्ध संग्रह चिन्तामणि

अभिमान से संबंधित कथन:- अभिमान एक व्यक्तिगत गुण है,उसे समाज के भिन्न भिन्न विषयों से जोड़ना ठीक नहीं। मनोवेग वर्जित सदाचार दम्भ या झूठी कवायद ह। अभिमान हर घड़ी बड़ाई की भावना भोगने का दुर्व्यसन है। भय से सम्बंधित कथन:- भय के लिए कारण का निर्दिष्ट होना जरूरी नही भय जब स्भावगत हो जाता है , कायरता या भीरूता कहलाता ह्। भय का फल भय के संचार काल तक ही रहता ह। क्रोध दुःख के कारण पर प्रभाव डालने के लिए आकुल करता है और भय उसकी पंहुच से बाहर होने के लिए। उत्साह के विषय में कथन:- कर्म सौन्दर्य के उपासक ही सच्चे उत्साही कहलाते हैं। दुःख वर्ग में जो स्थान भय का है, वही स्थान आनन्द वर्ग में उत्साह का है।  उत्साह वास्तव में कर्म और फल की मिली -जुली अनुभूति है। साहसपूर्ण आनन्द की उमंग का नाम उत्साह है। घृणा से संबंधित कथन :- घृणा के बदले में तो घृणा ,क्रोध या वैर होता है। घृणा और भय की प्रवृति एक सी है। वैर का आधार व्याक्तिगत होता है, घृणा का सार्वजनिक। अपने बनाने और पालने वाले से बैर पालना कृतघ्नता ह्। सभ्यता या शिष्टता के व्यवहार में घृणा उदासीनत

परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं और हम अकसर गलत उत्तर देते है।

श्रृंगार तिलक-रूद्रभट श्रृंगार प्रकाश-भोजराज श्रृंगार शिरोमणि -प्रतापसाही श्रृंगार मंजरी-प्रतापसाही श्रृंगार मंजरी -यशवंत सिंह श्रृंगार मंजरी -चिन्तामणि श्रृंगार रस माधुरी -कृष्ण भट्ट देव ऋषि श्रृंगार सोरठा -रहीम श्रृंगार बत्तीसी -द्विज देव श्रृंगार लतिका -द्विज देव श्रृंगार चालिसा -द्विज देव श्रृंगार निर्णय -भोजराज श्रृंगार भूषण -बेनी प्रवीन श्रृंगार विलास -सोमनाथ श्रृंगार सागर -मोहनलाल मिश्र

भाक्तिकाल के विषय में विद्वानों के महत्वपूर्ण कथन

👉भक्तिकाल लोक जागरण काल है-  रामविलास शर्मा 👉भक्ति आन्दोलन लोकजागरण है- हजारी प्रसाद द्विवेदी। 👉भक्ति द्रविड़ उपजी लाये रामानन्द प्रकट किया कबीर न,सात दीप नौ खंड-कबीर। 👉भक्ति काल हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग है-ग्रियर्सन। 👉भक्तिकाव्य का प्रथम क्रांतिकारी पुरस्कर्त्ता कबीर हैं-बच्चन सिंह। 👉भक्ति आंदोलन एक जातीय जनवादी आंदोलन था-रामविलास शर्मा। 👉पद्मावत महाकाव्य हिन्दी में अपने ढंग की अकेली ट्रेजिक कृति है- विजयदेव नारायण साही। 👉हिन्दू हृदय और मुसलमान हृदय दोनों को आमने सामने करके अजनबीपन मिटाने वालो में इन्ही (जायसी)का नाम लेना पड़ेगा -रामचन्द्र शुक्ल। 👉बिजली की चमक के समान अचानक समस्त पुराने धार्मिक मतों के अंधकार में एक नयी बात दिखाई दी-ग्रियर्सन। 👉हिन्दी  काव्य की प्रौढ़ता के युग का आरम्भ तुलसी से हुआ-रामचन्द्र शुक्ल। 👉तुलसी उत्तर भारत की समग्र जनता के हृदय में पूर्ण प्रेम प्रतिष्ठा के साथ विराज रहे हैं-रामचन्द्र शुक्ल।

महत्वपूर्ण कथन कबीर के विषय में।

👉कबीर की भाषा हिन्दुस्तानी तथा ब्रजभाषा का मिश्रित रूप है।:- सुनीती कुमार च ट र् जी  👉कबीर की भाषा राजस्थानी है एवं कबीर को उ सी प्र कार राजस्थानी कवि कहा जा सकता है जिस प्रकार ढ़ोला मारू रा के कर्ता को - सूर्य करण पारीक 👉कबीर ने अपने रहस्यवाद में अद्वैतवाद और सूफीवाद की गंगा जमुना एक साथ बहा दी- रामकुमार वर्मा 👉हिन्दू तुरक प्रमान रमैनी  साखी। पच्छपात नही वचन सबहीं के हित की भाखी। नाभादास(भक्तमाल) 👉हिन्दी साहित्य के हजारों वर्षों के इतिहास में कबीर जैसा व्यक्तित्व लेकर कोई उत्पन्न नही हुआ।महिमा में यह व्यक्तित्व एक ही प्रति द्वन्द्वी में है-तुलसी दास में हजारी प्रसाद द्विवेदी 👉वे जन्मान्तर में विश्वास रखते थे।आर्थिक विषमताओं पर प्रकाश नही डालते ।जाँती पाँती को नही मानते ।इसके विरोध में जिन्दगी भर लड़ते रहे। हरिवंश राय बच्चन 👉आज तक हिन्दी का ऐसा जबरदस्त व्यंग्य लेखक नही हुआ। हजारी प्रसाद द्विवेदी 👉कबीर का अक्खड़पन उनके विनय को सुरक्षित रखता है। सरनाम सिंह शर्मा 👉रहस्यवादी कवियों में कबीर का स्थान सबसे उच्चा है। शुद्ध रहस्यवाद केवल उन्ही का है। श्याम सुन्दर दास 👉

विविध आलोचना -पद्धति के प्रवर्तक

👉शास्त्रीय आलोचना पद्धति के प्रवर्तक:- महावीर प्रसाद द्विवेदी, रामचन्द्र शुक्ल, मिश्रबन्धु। 👉अकेडमिक या अध्यापकीय आलोचना पद्धति के प्रवर्तक:- श्यामसुन्दर दास 👉शोधपरक समीक्षा का श्री गणेश हुआ- नागरी प्रचारिणी पत्रिका से 👉शोध परक समीक्षा पद्धति का विकास करने वाले:- बाबूश्यामसुन्दर दास 👉व्यावहारिक आलोचना पद्धति के जनक -बालकृष्ण भट्ट 👉कथा समीक्षा के क्षेत्र में प्रथम आलोचक- नामवार सिंह 👉व्याख्यात्मक आलोचना का सू्त्रपात करने वाले -रामचन्द्र शुक्ल 👉व्याख्यात्मक आलोचना को आदर्श रुप प्रदान करने वाले-हजारी प्रसाद द्विवेदी 👉प्रभावात्मक आलोचना के सूत्रपात करता-पद्म सिंह शर्मा 👉मनोवैज्ञानिक आलोचना के क्षेत्र में सर्वाधिक समर्थक आलोचक-इलाचन्द्र जोशी 👉चिन्तन प्रधान आलोचना पद्धति के प्रवर्तक-रामचन्द्र शुक्ल 👉नोट :- प्रभावात्मक आलोचना का सूत्रपाद पद्म सिंह शर्मा ने बिहारी सतसई की आलोचना से किया है। जायसी,सूर,तुलसी की आलोचना से व्याख्यात्मक आलोचना का सूत्रपात हुआ। तुलनात्मक आलोचना का सूत्रपात पदम सिंह शर्मा ने बिहारी और फारसी के कवि सादी की तुलना की है।

कामता प्रसाद गुरू

👉जन्म-1875 👉मृत्यु-1947 👉जन्म स्थान-मध्य प्रदेश रचनाएं:- 👉व्याकरण-हिन्दीव्याकरण (1920) प्रकाशन-काशी नागरी प्रचारिणी सभा से। 👉नाटक- पद्य पुष्पावली, हिन्दुस्तानी शिष्टाचार तथा सुदर्शन। सुदर्शन पौराणिक नाटक है। 👉काव्य-भौमासुर वध, विनय पचासा। इन्होंने काव्य रचना ब्रजभाषा में की है। इनकी प्रसिद्ध कविताएं-शिवाजी ,                                  दासी रानी । 👉सम्पादन:- बालसखा (इंडियन प्रेस प्रयाग) सरस्वती पत्रिका। 👉उपन्यास:- सत्य , प्रेम, पार्वती और यशोदा 👉नोट कामता प्रसाद गुरु अपने व्याकरण ग्रन्थ के कारण प्रसिद्ध हैं।

नागार्जुन की प्रसिद्ध कविता तथा काव्य कृति

👉नागार्जुन की प्रसिद्ध कविताएं :- बादल को घिरते देखा है, पाषाणी, चन्दना, रविन्द्र के प्रति, सिंदूर तिलकित भाल, तुम्हारी तंदुरित मुस्कान, ओ जन मन के सजग चितेरे, गुलाबी चूड़ियां, तन गयी रीढ़, यह तुम थी, जौत की फाँक, भादों की तलैया, प्रेत का ब्यान, राम के प्रति, कालिदास के प्रति, मास्टर , काली माई , शासन की बन्दूक, अकाल और उसके बाद, वे और तुम। 👉काव्य संकलन:- युगधारा-1952 सतरंगे पंखो वाली-1959 प्यारी पथराई आंखे-1962 तालाब की मछलियां-1957 खिचड़ी विप्लव देखा हमने-1980 तुमने कहा था -1980 हजार हजार बाहों वाली-1981 पुरानी जूतियों का कोरस-1983 रत्न गर्भ-1984 ऐसे हम भी क्या ऐसे तुम भी क्या-1985 आखिर ऐसा क्या कह दिया मैने -1986 इस गुब्बारे की छाया में-1990 भूल जाओ पूराने सपने-1994 अपने खेत में-1997 नोट :- 👉नागार्जुन की पहली कविता राम के प्रति -1933 यह विश्वबन्धु में प्रकाशित हुई थी। 👉व्यंग्य के कारण इन्हे आधुनिक युग का कबीर कहा जाता है। 👉नागार्जुन जनपक्षधरता के कवि कहे जाते हैं। 👉अंधविश्वास के कारण लोग इन्हें ढक्कन कहते है। 👉इन्हें मजदूरों का हिमायती भ

बाबा नागार्जुन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्य एक साथ

जन्म-1911 मृत्यु-1998 जन्म स्थान-तैरानी ,दखभंगा बिहार वास्तविक नाम-वैद्यनाथ मिश्र यह प्रयोगशील और प्रगतिशील दानों रूपों में प्रसिद्ध हैं। इनकी रचनाओं में विषय की विविधता देखने को मिलती है। इनकी रचनाओं में व्यंग्य ,आक्रोश,राजनीतिक स्थितियों ,किसान-मजदूर और रागात्मकता भी मिलती है। इन्होने  हिन्दी और मैथिली दोनो भाषाओं में रचना की है। मैथिली में ये "यात्री" नाम से लिखते थे। बौद्ध धर्म से दीक्षा  लेकर नागार्जुन नाम ग्रहण किया। 'बाबूजी' नाम से शोभाकान्त ने इनकी जवनी लिखी है। इन्होने ' दीपक पत्रिका का सम्पादन किया । , 'एक व्याक्ति एक युग' इनकी आलोचना कृति है। "मेघदूत का हिन्दी रूपान्तरण "(1955)इनकी अनुदित रचना है। पुरस्कार:- "पत्र हीन नग्न गाछ "मैथिल रचना पर साहित्य अकादमी पुरस्कार । उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भारत भारती पुरस्कार मध्य प्रदेश सरकार द्वारा1993में मैथिलीशरण गुप्त सम्मान । बिहार सरकार द्वारा राजेन्द्र शिखा सम्मान । हिन्दी आकादमी पश्चिम बंगाल दारा 1995 में राहुल सम्मान मिला । इनका एकमात्र नाटक

महत्वपूर्ण तथ्य नन्दास के विषय में

👉जन्म-इनके जन्म के विषय में मतभेद हैं। शयामसुन्दर दास ,प्रभु दयाल  मितल और कंठमणि शास्त्री के अनुसार सं. 1590 👉गुलाब राय तथा गोगुल नाथ ने इन्हें तुलसी का भाई माना ह। गुलाब राय ने इन्हें तुलसी का भाई मानने के साथ साथ तुलसी का गुरू भाई भी माना है। 👉गोगुल नाथ ने "दो सौ बावन वैष्णवन "की वार्ता में बताया है कि तुलसी जी के कहने पर ही इन्होंने" श्री मद्भागवत "की कथा पद्य में लिखी थी। 👉"भक्तमाल "में नंददास को चन्द्रहास का भाई कहा गया है। यथा-"चन्द्रहास अग्रज सुहद, परम प्रेम पथ में पगे" 👉"गोसाईचरित "चरित मे तुलसी का गुरु भाई बताते हुए लिखा गया है-"शिक्षा गुरु बन्धु भये तिहिते ।" 👉इनकी प्रसिद्धि का आधार रासपंचाध्यी और भंवरगीत है 👉इनके विषय में प्रसिद्ध कथन है-"और कवि गाढ़िया नंददास जड़िया"। 👉सिद्धान्त पंचाध्यायी में कुछ नियम और कृष्ण की रासलीला का वर्णन है। 👉भंवरगीत -यह सबसे चर्चित रचना है। इसमें दार्शनिकता और तार्किकता की प्रधानता है। गुलाब राय के अनुसार-" गोपियों में बुद्धिवाद का बाहुल्य है।"

हिन्दी रचनाओं में पहली बार बारहमासा वर्णन तथा कुछ अपभ्रंस रचना क्रम ट्रिक

👉पहली बार बारहमासा वर्णन मिलता है -नेमिनाथ चऊपई में। 👉हिन्दी में पहली बार बारहमासा वर्णन मिलता है-बीसलदेव रासो में। 👉हिन्दी में पहली बार व्यापक ढंग का बारहमासा मिलता है-पृथ्वीराज रासों में। 👉हिन्दी में पहली बार व्यापक और मार्मिक ढंग का बारहमासा मिलता है-पद्मावत में। ,👉अपभ्रंस की कुछ प्रमुख रचनाओं को क्रम से याद करने के लिए ट्रिक👇👇👇👇 श्रवाक उपदेश देने वाली भारती चंदनबाला जी स्थूल नेमि गिरि पर बुद्धि प्राप्त करती है। 👉श्रवाक-श्रवाकाचार-933 👉उपदेश-उपदेश रसायन रास-1143ई० 👉भारती-भारतेश्वर बाहुबलि रास-1184ई० 👉चंदनबाला -चन्दनबाला रास-1200ई० 👉जी-जीवदया रास-1200ई० 👉स्थूल-स्थूलिभद्र रास-1209ई ० 👉नेमि -नेमिनाथ रास-1213ई० 👉गिरी-रेवंतगिरि रास-1231ई० 👉बुद्धि-बुद्धि रास-1241ई०

कुछ प्रमुख अपभ्रंश रचनाओं की काल क्रमानुसार ट्रिक

👉ट्रिक:- परम योग पाकर रिठनेमि नाग महापुराण भविष्यत का दोहा ढ़ोल बजाकर उपदेश देते हुए सन्देश प्राप्त करता है। 👉परम-परमात्मा प्रकाश-जोइन्दु -6ठी शताब्दी 👉योग-योगसार -जोइन्दु -6ठी शताब्दी 👉पाकर -पऊम चरिउ-8वीं 👉रिठणेमि-रिठणेमि चरिउ -8वी 👉नाग -नागकुमार चरिउ -8वीं 👉महापुराण-महापुराण -पुष्पदन्त-10वीं 👉भविष्यत -भविष्यत कहा-धनपाल-10वी 👉दोहा -पहुड़ दोहा-रामासिंह -11वीं 👉ढोल -ढोला मारू रा दूहा-कुशललाभ-11वीं 👉उपदेश-उपदेश रसायन रास-जिनिदत्तसूरी-12वीं शताब्दी 👉संदेश-सन्देश रासक-अबुर्द रहमान-12वीं 👉प्राप्त -प्राकृत पैंगलम-शारंगधर         

नन्ददुलारे वाजपेयी आलोचना क्रम ट्रिक

👉नन्दुलारे वाजपेयी की आलोचनाएं:- हिन्दी साहित्य 20वीं शताब्दी-1942(प्रथम कृति निबन्ध सग्रह) जय शंकर प्रसाद-1939ई० प्रेमचन्द -1950ई० आधुनिक साहित्य-1950 महाकवि सूरदास -1952 महाकवि निराला-1965 नयी कविता-1973 कवि सुमित्रा नन्दन पंत -1976 रससिद्धान्त-1977 साहित्य का आधुनिक युग-1978 आधुनिक साहित्य सृजन और समीक्षा-1978 रीति और शैली -1979 नया साहित्य नए प्रश्न-1955 👉ट्रिक:- जय शंकर प्रसाद ने साहित्य की 20वीं शताब्दी प्रेमचन्द के नाम कर दी।जिसके कारण आधुनिक साहित्य के महाकवि सूरदास नया साहित्य नए प्रश्न के लिए महाकावि निराला की नयी कविता लेकर  सुमित्रा नन्दन पंत के पास गए और रससिद्धान्त बताएफिर साहित्य के आधुनिक युग में साहित्य का सृजन और समीक्षा करके रीति और शैली अपनाई

प्रमुख समीक्षक नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी-1906-1967ई० 👉वाजपेयी जी की समीक्षा शैली व्याख्यात्मक और विवेचनात्मक है। 👉गणपति चन्द्र गुप्त ने इन्हें अपने युग का सजग समीक्षक  कहा है। 👉वाजपेयी जी किसी वाद में आस्था नही रखते थे । वे छायावादी ,स्वच्छंदतावादी ,सौष्ठववादी,समन्वयवादी ,रसवादी,अध्यात्मवादी समीक्षक कहे जा सकते हैं। 👉यह प्रथम छायावादी समीक्षक है।यह छायावादी-संवेदना दृष्टि के आलोचक है। 👉इनहोने छायावाद का सर्वप्रथम मानवीय और सांस्कृतिक प्रेरणा के रूप में विश्लेषण किया 👉इनकी समीक्षा-दृष्टि की महत्त्वपूर्ण विशेषता सौन्दर्यानुसंधान है। 👉दुलारे जी ने प्रेमचन्द को छोड़कर कोई स्वतन्त्र पुस्तक नही लिखी।इनकी पुस्तकें समय समय पर लिखें गए इनके निबंधों का संग्रह हैं। 👉ये श्यामसुन्दर दास से प्रभावित थे। 👉इन्होने लिखा है :-"मेरा आगमन हिन्दी के छायावादी कवि प्रसाद ,निराला,पंत की कविता के विवेचन के रूप में हुआ था। 👉जय शंकर प्रसाद इनके प्रिय कवि है। 👉इन्होंने प्रेमचन्द के आदर्शवाद की और सर्वप्रथम संकेत किया। 👉शुक्ल जी की सीमाओं को भी इन्होंने उद्घाटित किया है। 👉प्रसाद निराला और पंत पर 1931 में

प्रमुख आलोचकों को क्रम से याद करने के लिए ट्रिक

रामचन्द्र शुक्ल- 1884 ई बाबू गुलाब राय- 1888 ई नन्ददुलारे बाजपेयी-1906ई. हजारी प्रसाद द्विवेदी- 1907ई. रामधारी सिंह दिनकर-1908ई. ट्रिक:- शुक्ल बाबू में वाजपेयी से हजार दिन मांगें। 👇👇 रामाविलास शर्मा-1912ई. मुक्तिबोध -1917ई. विजयदेव नारायण साही -1927ई . रामस्वरूप चतुर्वेदी-1931ई. मैनेजर पांडेय-1941ई. ट्रिक:- रामविलास शर्मा ने मुक्तिबोध से विजय प्राप्त करके नाम कमाया और फिर उसे राम स्वरूप मानने लगे मैनेजर पांडेय।

पृथ्वी राज रासो के विषय में महत्वपूर्ण ट्रिक

पृथ्वीराज रासो को अप्रमाणिक मानने वाले विद्वान:- श्यामलदान, कविराजा मुरारीदान, मुंशी देवी प्रसाद, रामचन्द्र शुक्ल, गौरी शंकर हीराचन्द ओछा, मोतीलाल मनोरिया, डॉ बूलर। ट्रिक:-श्यामल मुरारी ने देवी की शक्ल पर हीरा मोती तथा गुलर के फूल चढ़ाए।जो कि अप्रमाणिक थे। 👉प्रमाणिक मानने वाले विद्वान:- श्याम सुन्दर दास, मोहन लाल विष्णु लाल पांडया, मिश्रबन्धु, दशरथ शर्मा, नगेन्द्र, कर्नल टॉड, ग्रियर्सन। ट्रिक:- श्याम सुन्दर ने विष्णु के मिश्रित प्रमाणिक दश नग कर्नल टॉड के आगे गिरा दिए। 👉अर्ध प्रमाणिक मानने वाले विद्वान:- सुनीती कुमार चटर्जी, हजारी प्रसाद दिवेदी, मुनिजिनविजय, अगर चन्द नाहटा ट्रिक:-सुनीता हजार जिनी अगरबत्ती आधी जला।

पृथ्वीराज रासो -महत्वपूर्ण तथ्य

👉पृथ्वीराज रासो के रचनाकार -चन्दबरदाई 👉पृथ्वीराज रासो के चार संस्करण मिलते हैं। 👉पृथ्वीराज रासो के इधर उधर लघु संस्करण का संकलन चन्द्रसिंह ने तथा वृहत्त संस्करण का संकलन कक्का कवि ने किया था। 👉सर्ग-69 👉पृथ्वीराज रासो के सर्ग को समय कहते है। 👉इसका सबसे बड़ा स्मय कनवज्ज युद्ध है। 👉यह वीर एवं श्रृंगार रस प्रधान काव्य है। 👉यह पिंगल भाषा में रचित है। 👉1875ईं में बूलर ने पृथ्वीराजविजय के आधार पर इसी अप्रमाणिक रचना माना है। 👉पृथ्वीराज रासो को मुक्तक काव्य कहने वाले अकेले विद्वान नरोत्तमस्वामी हैं। 👉बंगाल की रॉयल एशियाटिक सोसायटी ने पृथ्वीराजरासो का मुद्रण भी करवाया था। 👉कविराज श्यामलदास ने चंदबरदाई और अकी रचना दोनों को अप्रमाणिक माना है। 👉पंडित हरप्रसाद शास्त्री ने चंदबरदाई का जन्म 1168 ईं में लाहौर में भट्ट जाति में माना है। 👉इस ग्रन्थ को चंद के पुत्र जलहण ने पूरा किया था 👉यह ढ़ाई हजार पृष्ठो का बहुत बड़ा ग्रन्थ है।

पत्र -पत्रिका सम्पादक ट्रिक के साथ

👉सुदर्शन (1900)काशी सम्पादक ट्रिक:-                         देवकी के माधव सुदर्शन है।       सम्पादक:-    देवकी -देवकी नन्दन खत्री    माधव -माधव प्रसाद मिश्र   सुदर्शन से सुदर्शन जो काशी से प्रकाशित हुई है 👉चाँद -1920 प्रयाग से सम्पादक:-                रामरख सहगल,                चण्डी प्रसाद,                 महादेवी वर्मा hindisahityarenu.blogspot.in सम्पादक ट्रिक:- चाँद राम रख चण्डी महादेवी के साथ गए। 👉विशाल भारत-कलकत्ता सम्पादक:-                 बनारसी दास चतुर्वेदी,                  अज्ञेय,                  श्री राम शर्मा सम्पादक ट्रिक:- कलकत्ता के विशाल बनारस में अज्ञेय श्री राम से मिले। 👉मतवाला-(1923) कलकत्ता सम्पादक:-                महादेव सेठ,                शिव पूजन सहाय,                नवजादिक लाल श्रीवास्तव,                 निराला सम्पादक ट्रिक:- मतवाला महादेव शिव के समान नव निराला हैं। 👉नागरी प्रचारणी पत्रिका के सम्पादक ट्रिक :- राधा श्याम चन्द्र से गौरी है। hindisahityarenu.blogspot.in राधा -राधा कृष्णदास श्याम-श्याम सुन्दर दास चन्द्