👉वैदेही बनवास -18सर्ग
👉पारिजात -15सर्ग
👉सिद्धार्थ -18सर्ग
👉हल्दीघाटी -17सर्ग
👉कृष्णायन-7काण्ड
👉महामानय- 15सर्ग
👉कुरूक्षेत्र -7सर्ग
👉जौहर -21सर्ग
👉विक्रमादित्य-44सर्ग
👉आर्यावर्त -13सर्ग
👉द्रोपदी-5सर्ग
👉भूमिजा -8सर्ग
👉नूरजंहा -18सर्ग
👉कामायनी-15सर्ग
👉साकेत -12सर्ग
ज न्म -1595 स्थान - ग्वालियर मृ त्यु,- 1663 जाति- माथूर चतुर्वेदी बिहारी सतसई का रचना काल -1662 भाषा - ब्रज छंद - दोहा 713 का०य स्वरूप - मुक्तक काव्य प्र मु ख रस - संयोग श्रृंगार रस विशेष :- बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं । यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं। hindisahityarenu.blogspot.in हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है । बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले- कृष्ण कवि बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि hindisahityarenu.blogspot.in बिहारी सतसई की रसिकों के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी बिहारी को हिन्दी का चौथ
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