👉पृथ्वीराज रासो के रचनाकार -चन्दबरदाई
👉पृथ्वीराज रासो के चार संस्करण मिलते हैं।
👉पृथ्वीराज रासो के इधर उधर लघु संस्करण का संकलन चन्द्रसिंह ने तथा वृहत्त संस्करण का संकलन कक्का कवि ने किया था।
👉सर्ग-69
👉पृथ्वीराज रासो के सर्ग को समय कहते है।
👉इसका सबसे बड़ा स्मय कनवज्ज युद्ध है।
👉यह वीर एवं श्रृंगार रस प्रधान काव्य है।
👉यह पिंगल भाषा में रचित है।
👉1875ईं में बूलर ने पृथ्वीराजविजय के आधार पर इसी अप्रमाणिक रचना माना है।
👉पृथ्वीराज रासो को मुक्तक काव्य कहने वाले अकेले विद्वान नरोत्तमस्वामी हैं।
👉बंगाल की रॉयल एशियाटिक सोसायटी ने पृथ्वीराजरासो का मुद्रण भी करवाया था।
👉कविराज श्यामलदास ने चंदबरदाई और अकी रचना दोनों को अप्रमाणिक माना है।
👉पंडित हरप्रसाद शास्त्री ने चंदबरदाई का जन्म 1168 ईं में लाहौर में भट्ट जाति में माना है।
👉इस ग्रन्थ को चंद के पुत्र जलहण ने पूरा किया था
👉यह ढ़ाई हजार पृष्ठो का बहुत बड़ा ग्रन्थ है।
ज न्म -1595 स्थान - ग्वालियर मृ त्यु,- 1663 जाति- माथूर चतुर्वेदी बिहारी सतसई का रचना काल -1662 भाषा - ब्रज छंद - दोहा 713 का०य स्वरूप - मुक्तक काव्य प्र मु ख रस - संयोग श्रृंगार रस विशेष :- बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं । यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं। hindisahityarenu.blogspot.in हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है । बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले- कृष्ण कवि बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि hindisahityarenu.blogspot.in बिहारी सतसई की रसिकों के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी बिहारी को हिन्दी का चौथ
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