Skip to main content

बाबा नागार्जुन से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्य एक साथ

जन्म-1911
मृत्यु-1998
जन्म स्थान-तैरानी ,दखभंगा बिहार
वास्तविक नाम-वैद्यनाथ मिश्र
यह प्रयोगशील और प्रगतिशील दानों रूपों में प्रसिद्ध हैं।
इनकी रचनाओं में विषय की विविधता देखने को मिलती है।
इनकी रचनाओं में व्यंग्य ,आक्रोश,राजनीतिक स्थितियों ,किसान-मजदूर और रागात्मकता भी मिलती है।
इन्होने  हिन्दी और मैथिली दोनो भाषाओं में रचना की है।
मैथिली में ये "यात्री" नाम से लिखते थे।
बौद्ध धर्म से दीक्षा  लेकर नागार्जुन नाम ग्रहण किया।
'बाबूजी' नाम से शोभाकान्त ने इनकी जवनी लिखी है।
इन्होने 'दीपक पत्रिका का सम्पादन किया ।,'एक व्याक्ति एक युग' इनकी आलोचना कृति है।
"मेघदूत का हिन्दी रूपान्तरण "(1955)इनकी अनुदित रचना है।
पुरस्कार:-
"पत्र हीन नग्न गाछ "मैथिल रचना पर साहित्य अकादमी पुरस्कार ।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भारत भारती पुरस्कार
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा1993में मैथिलीशरण गुप्त सम्मान ।
बिहार सरकार द्वारा राजेन्द्र शिखा सम्मान ।
हिन्दी आकादमी पश्चिम बंगाल दारा 1995 में राहुल सम्मान मिला ।
इनका एकमात्र नाटक "अनुकम्पा और निर्णय" है ।यह ऐतिहासिक नाटक है।
इनके प्रमुख संस्मरण मै सो रहा हुँ,एक घन्टा,आईने के सामने हैं।
इनकी मैथिली में प्रकाशित प्रथम रचना 'मिथिला' है
इनके मैथिली में रचित प्रमुख उपन्यास-पारो और नवुतरिया हैं।
मैथिली में रचित काव्य संग्रह-चित्रा,विशाख,पत्रहीन नग्न गाछ है।
दीर्घ कावितएं- हरिजन गाथा ,भूमिजा ।
यात्रा वृत्तान्त - टिहरी से नेल्डर, महावीर, हिमालय की बेटियां, सिंध में सत्तर महीने, ।
कहानी:-
हीरक जयंती ,
सूखे बादलों की परछइयाँ,
जेठा,
मनोरंजन टैक्स,
कायापलट,
विषम ज्वर,
असमर्थता,
विशाखा स्कगारमाता,
हर्षचरित का पॉकिट एडीशन,
ममता,
तापहारिणी आदि।
उपन्यास :-
रतिनाथ की चाची-1948
बलचनमा-1952
नई पौध-1953
बाबा बटेसर नाथ-1954
वरुण के बेटे -1957
दुःख मोचन-1957
कंभीपाक-1960
हीरक जयंती या अभिनंदन-1962
उग्रतारा-1963
जमनिया का बाबा या उमरतिया-1968
पारो-1975
गरीबदास-1979 ।
खण्ड काव्य:-
भस्मांकुर-1970
गीतगोविंद-1979।
भस्मांकुर बरवे छंद में रचित खण्ड काव्य है।
नोट :-चित्रा,पत्रहीन नग्न गाछ का खड़ी बोली में अनुवाद किया है।
हिन्दी और मैथिली के अलावा संस्कृत में भी इनकी रचनाएं  मिलती हैं।
हिन्दी में यह नागार्जुन नाम से रचना करते थे।
काव्य कृतियां अगले पोस्ट में ट्रिक के साथ।



         PLZ SHARE AND
                SUBSCRIBE MY BLOG AND
 COMMENTS FOR
                 INFORMATION

Comments

Popular posts from this blog

बिहारी के विषय में महत्वपूर्ण कथन

ज न्म -1595 स्थान - ग्वालियर मृ त्यु,- 1663 जाति- माथूर चतुर्वेदी बिहारी सतसई का रचना काल -1662 भाषा - ब्रज छंद - दोहा 713 का०य स्वरूप - मुक्तक काव्य प्र मु ख रस - संयोग श्रृंगार रस विशेष :-                बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं ।       यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं। hindisahityarenu.blogspot.in हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है । बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले- कृष्ण कवि  बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि hindisahityarenu.blogspot.in बिहारी सतसई की रसिकों  के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी बिहारी को हिन्दी का चौथ

प्रमुख समीक्षक नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी-1906-1967ई० 👉वाजपेयी जी की समीक्षा शैली व्याख्यात्मक और विवेचनात्मक है। 👉गणपति चन्द्र गुप्त ने इन्हें अपने युग का सजग समीक्षक  कहा है। 👉वाजपेयी जी किसी वाद में आस्था नही रखते थे । वे छायावादी ,स्वच्छंदतावादी ,सौष्ठववादी,समन्वयवादी ,रसवादी,अध्यात्मवादी समीक्षक कहे जा सकते हैं। 👉यह प्रथम छायावादी समीक्षक है।यह छायावादी-संवेदना दृष्टि के आलोचक है। 👉इनहोने छायावाद का सर्वप्रथम मानवीय और सांस्कृतिक प्रेरणा के रूप में विश्लेषण किया 👉इनकी समीक्षा-दृष्टि की महत्त्वपूर्ण विशेषता सौन्दर्यानुसंधान है। 👉दुलारे जी ने प्रेमचन्द को छोड़कर कोई स्वतन्त्र पुस्तक नही लिखी।इनकी पुस्तकें समय समय पर लिखें गए इनके निबंधों का संग्रह हैं। 👉ये श्यामसुन्दर दास से प्रभावित थे। 👉इन्होने लिखा है :-"मेरा आगमन हिन्दी के छायावादी कवि प्रसाद ,निराला,पंत की कविता के विवेचन के रूप में हुआ था। 👉जय शंकर प्रसाद इनके प्रिय कवि है। 👉इन्होंने प्रेमचन्द के आदर्शवाद की और सर्वप्रथम संकेत किया। 👉शुक्ल जी की सीमाओं को भी इन्होंने उद्घाटित किया है। 👉प्रसाद निराला और पंत पर 1931 में

हिन्दी रचनाओं में पहली बार बारहमासा वर्णन तथा कुछ अपभ्रंस रचना क्रम ट्रिक

👉पहली बार बारहमासा वर्णन मिलता है -नेमिनाथ चऊपई में। 👉हिन्दी में पहली बार बारहमासा वर्णन मिलता है-बीसलदेव रासो में। 👉हिन्दी में पहली बार व्यापक ढंग का बारहमासा मिलता है-पृथ्वीराज रासों में। 👉हिन्दी में पहली बार व्यापक और मार्मिक ढंग का बारहमासा मिलता है-पद्मावत में। ,👉अपभ्रंस की कुछ प्रमुख रचनाओं को क्रम से याद करने के लिए ट्रिक👇👇👇👇 श्रवाक उपदेश देने वाली भारती चंदनबाला जी स्थूल नेमि गिरि पर बुद्धि प्राप्त करती है। 👉श्रवाक-श्रवाकाचार-933 👉उपदेश-उपदेश रसायन रास-1143ई० 👉भारती-भारतेश्वर बाहुबलि रास-1184ई० 👉चंदनबाला -चन्दनबाला रास-1200ई० 👉जी-जीवदया रास-1200ई० 👉स्थूल-स्थूलिभद्र रास-1209ई ० 👉नेमि -नेमिनाथ रास-1213ई० 👉गिरी-रेवंतगिरि रास-1231ई० 👉बुद्धि-बुद्धि रास-1241ई०