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भाक्तिकाल के विषय में विद्वानों के महत्वपूर्ण कथन

👉भक्तिकाल लोक जागरण काल है-  रामविलास शर्मा
👉भक्ति आन्दोलन लोकजागरण है-
हजारी प्रसाद द्विवेदी।
👉भक्ति द्रविड़ उपजी लाये रामानन्द
प्रकट किया कबीर न,सात दीप नौ खंड-कबीर।
👉भक्ति काल हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग है-ग्रियर्सन।
👉भक्तिकाव्य का प्रथम क्रांतिकारी पुरस्कर्त्ता कबीर हैं-बच्चन सिंह।
👉भक्ति आंदोलन एक जातीय जनवादी आंदोलन था-रामविलास शर्मा।
👉पद्मावत महाकाव्य हिन्दी में अपने ढंग की अकेली ट्रेजिक कृति है- विजयदेव नारायण साही।
👉हिन्दू हृदय और मुसलमान हृदय दोनों को आमने सामने करके अजनबीपन मिटाने वालो में इन्ही (जायसी)का नाम लेना पड़ेगा -रामचन्द्र शुक्ल।
👉बिजली की चमक के समान अचानक समस्त पुराने धार्मिक मतों के अंधकार में एक नयी बात दिखाई दी-ग्रियर्सन।
👉हिन्दी  काव्य की प्रौढ़ता के युग का आरम्भ तुलसी से हुआ-रामचन्द्र शुक्ल।
👉तुलसी उत्तर भारत की समग्र जनता के हृदय में पूर्ण प्रेम प्रतिष्ठा के साथ विराज रहे हैं-रामचन्द्र शुक्ल।

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बिहारी के विषय में महत्वपूर्ण कथन

ज न्म -1595 स्थान - ग्वालियर मृ त्यु,- 1663 जाति- माथूर चतुर्वेदी बिहारी सतसई का रचना काल -1662 भाषा - ब्रज छंद - दोहा 713 का०य स्वरूप - मुक्तक काव्य प्र मु ख रस - संयोग श्रृंगार रस विशेष :-                बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं ।       यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं। hindisahityarenu.blogspot.in हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है । बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले- कृष्ण कवि  बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि hindisahityarenu.blogspot.in बिहारी सतसई की रसिकों  के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी बिहारी को हिन्दी का चौथ

प्रमुख समीक्षक नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी-1906-1967ई० 👉वाजपेयी जी की समीक्षा शैली व्याख्यात्मक और विवेचनात्मक है। 👉गणपति चन्द्र गुप्त ने इन्हें अपने युग का सजग समीक्षक  कहा है। 👉वाजपेयी जी किसी वाद में आस्था नही रखते थे । वे छायावादी ,स्वच्छंदतावादी ,सौष्ठववादी,समन्वयवादी ,रसवादी,अध्यात्मवादी समीक्षक कहे जा सकते हैं। 👉यह प्रथम छायावादी समीक्षक है।यह छायावादी-संवेदना दृष्टि के आलोचक है। 👉इनहोने छायावाद का सर्वप्रथम मानवीय और सांस्कृतिक प्रेरणा के रूप में विश्लेषण किया 👉इनकी समीक्षा-दृष्टि की महत्त्वपूर्ण विशेषता सौन्दर्यानुसंधान है। 👉दुलारे जी ने प्रेमचन्द को छोड़कर कोई स्वतन्त्र पुस्तक नही लिखी।इनकी पुस्तकें समय समय पर लिखें गए इनके निबंधों का संग्रह हैं। 👉ये श्यामसुन्दर दास से प्रभावित थे। 👉इन्होने लिखा है :-"मेरा आगमन हिन्दी के छायावादी कवि प्रसाद ,निराला,पंत की कविता के विवेचन के रूप में हुआ था। 👉जय शंकर प्रसाद इनके प्रिय कवि है। 👉इन्होंने प्रेमचन्द के आदर्शवाद की और सर्वप्रथम संकेत किया। 👉शुक्ल जी की सीमाओं को भी इन्होंने उद्घाटित किया है। 👉प्रसाद निराला और पंत पर 1931 में

हिन्दी रचनाओं में पहली बार बारहमासा वर्णन तथा कुछ अपभ्रंस रचना क्रम ट्रिक

👉पहली बार बारहमासा वर्णन मिलता है -नेमिनाथ चऊपई में। 👉हिन्दी में पहली बार बारहमासा वर्णन मिलता है-बीसलदेव रासो में। 👉हिन्दी में पहली बार व्यापक ढंग का बारहमासा मिलता है-पृथ्वीराज रासों में। 👉हिन्दी में पहली बार व्यापक और मार्मिक ढंग का बारहमासा मिलता है-पद्मावत में। ,👉अपभ्रंस की कुछ प्रमुख रचनाओं को क्रम से याद करने के लिए ट्रिक👇👇👇👇 श्रवाक उपदेश देने वाली भारती चंदनबाला जी स्थूल नेमि गिरि पर बुद्धि प्राप्त करती है। 👉श्रवाक-श्रवाकाचार-933 👉उपदेश-उपदेश रसायन रास-1143ई० 👉भारती-भारतेश्वर बाहुबलि रास-1184ई० 👉चंदनबाला -चन्दनबाला रास-1200ई० 👉जी-जीवदया रास-1200ई० 👉स्थूल-स्थूलिभद्र रास-1209ई ० 👉नेमि -नेमिनाथ रास-1213ई० 👉गिरी-रेवंतगिरि रास-1231ई० 👉बुद्धि-बुद्धि रास-1241ई०