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महत्वपूर्ण कथन कबीर के विषय में।

👉कबीर की भाषा हिन्दुस्तानी तथा ब्रजभाषा का मिश्रित रूप है।:- सुनीती कुमार चर्जी 

👉कबीर की भाषा राजस्थानी है एवं कबीर को उसी प्रकार राजस्थानी कवि कहा जा सकता है जिस प्रकार ढ़ोला मारू रा के कर्ता को -
सूर्य करण पारीक

👉कबीर ने अपने रहस्यवाद में अद्वैतवाद और सूफीवाद की गंगा जमुना एक साथ बहा दी-
रामकुमार वर्मा

👉हिन्दू तुरक प्रमान रमैनी  साखी।
पच्छपात नही वचन सबहीं के हित की भाखी।
नाभादास(भक्तमाल)

👉हिन्दी साहित्य के हजारों वर्षों के इतिहास में कबीर जैसा व्यक्तित्व लेकर कोई उत्पन्न नही हुआ।महिमा में यह व्यक्तित्व एक ही प्रति द्वन्द्वी में है-तुलसी दास में
हजारी प्रसाद द्विवेदी

👉वे जन्मान्तर में विश्वास रखते थे।आर्थिक विषमताओं पर प्रकाश नही डालते ।जाँती पाँती को नही मानते ।इसके विरोध में जिन्दगी भर लड़ते रहे।
हरिवंश राय बच्चन

👉आज तक हिन्दी का ऐसा जबरदस्त व्यंग्य लेखक नही हुआ।
हजारी प्रसाद द्विवेदी

👉कबीर का अक्खड़पन उनके विनय को सुरक्षित रखता है।
सरनाम सिंह शर्मा

👉रहस्यवादी कवियों में कबीर का स्थान सबसे उच्चा है। शुद्ध रहस्यवाद केवल उन्ही का है।
श्याम सुन्दर दास

👉सीधी भाषा में कबीर ऐसी चोट करते है कि चोर खाने वाला धुल झाड़ कर चल देने के अलावा दूसरा रास्ता नही पाता है।
हजारी प्रसाद द्विवेदी।

👉सच पूछा जाए तो जनता कबीर पर श्रद्धा करने की अपेक्षा प्रेम अधिक करती है।इसलिए इनके संत रूप के साथ कवि रूप चलता रहा ।वे न केवल नेता और गुरु है,साथी और मित्र भी हैं।
हजारी प्रसाद

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