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प्रमुख संधि कवि और कवि त्रयी

👉आदिकाल और भाक्तिकाल के संधि कवि-
विद्यापति

👉भाक्तिकाल और रीतिकाल के सन्धि कवि
जगन्नाथ दास रत्नाकर

👉भाक्तिकाल और आधुनिक काल के सन्धि कवि
सत्यनारायण

👉आधुनिक युग और द्विवेदी युग के संधि कवि
बालमुकुन्द

👉रीतिकाल कवि त्रयी
केशव,
बीहारी,
भूषण
👉प्रगतिवादी त्रयी
शमशेर,
नागार्जुन
त्रिलोचन
👉छायावाय की वृहद त्रयी
प्रसाद
पंत
निराला
👉छायावाद की लघुत्रयी
महादेवी वर्मा
रामकुमार वर्मा
भगवती चरण वर्मा
👉नयी कहानी आन्दोलन की त्रयी
राजेन्द्र यादव
कमलेश्वर
मोहन राकेश

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बिहारी के विषय में महत्वपूर्ण कथन

ज न्म -1595 स्थान - ग्वालियर मृ त्यु,- 1663 जाति- माथूर चतुर्वेदी बिहारी सतसई का रचना काल -1662 भाषा - ब्रज छंद - दोहा 713 का०य स्वरूप - मुक्तक काव्य प्र मु ख रस - संयोग श्रृंगार रस विशेष :-                बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं ।       यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं। hindisahityarenu.blogspot.in हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है । बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले- कृष्ण कवि  बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि hindisahityarenu.blogspot.in बिहारी सतसई की रसिकों  के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी बिहारी को हिन्दी का चौथ

प्रमुख समीक्षक नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी-1906-1967ई० 👉वाजपेयी जी की समीक्षा शैली व्याख्यात्मक और विवेचनात्मक है। 👉गणपति चन्द्र गुप्त ने इन्हें अपने युग का सजग समीक्षक  कहा है। 👉वाजपेयी जी किसी वाद में आस्था नही रखते थे । वे छायावादी ,स्वच्छंदतावादी ,सौष्ठववादी,समन्वयवादी ,रसवादी,अध्यात्मवादी समीक्षक कहे जा सकते हैं। 👉यह प्रथम छायावादी समीक्षक है।यह छायावादी-संवेदना दृष्टि के आलोचक है। 👉इनहोने छायावाद का सर्वप्रथम मानवीय और सांस्कृतिक प्रेरणा के रूप में विश्लेषण किया 👉इनकी समीक्षा-दृष्टि की महत्त्वपूर्ण विशेषता सौन्दर्यानुसंधान है। 👉दुलारे जी ने प्रेमचन्द को छोड़कर कोई स्वतन्त्र पुस्तक नही लिखी।इनकी पुस्तकें समय समय पर लिखें गए इनके निबंधों का संग्रह हैं। 👉ये श्यामसुन्दर दास से प्रभावित थे। 👉इन्होने लिखा है :-"मेरा आगमन हिन्दी के छायावादी कवि प्रसाद ,निराला,पंत की कविता के विवेचन के रूप में हुआ था। 👉जय शंकर प्रसाद इनके प्रिय कवि है। 👉इन्होंने प्रेमचन्द के आदर्शवाद की और सर्वप्रथम संकेत किया। 👉शुक्ल जी की सीमाओं को भी इन्होंने उद्घाटित किया है। 👉प्रसाद निराला और पंत पर 1931 में

हिन्दी रचनाओं में पहली बार बारहमासा वर्णन तथा कुछ अपभ्रंस रचना क्रम ट्रिक

👉पहली बार बारहमासा वर्णन मिलता है -नेमिनाथ चऊपई में। 👉हिन्दी में पहली बार बारहमासा वर्णन मिलता है-बीसलदेव रासो में। 👉हिन्दी में पहली बार व्यापक ढंग का बारहमासा मिलता है-पृथ्वीराज रासों में। 👉हिन्दी में पहली बार व्यापक और मार्मिक ढंग का बारहमासा मिलता है-पद्मावत में। ,👉अपभ्रंस की कुछ प्रमुख रचनाओं को क्रम से याद करने के लिए ट्रिक👇👇👇👇 श्रवाक उपदेश देने वाली भारती चंदनबाला जी स्थूल नेमि गिरि पर बुद्धि प्राप्त करती है। 👉श्रवाक-श्रवाकाचार-933 👉उपदेश-उपदेश रसायन रास-1143ई० 👉भारती-भारतेश्वर बाहुबलि रास-1184ई० 👉चंदनबाला -चन्दनबाला रास-1200ई० 👉जी-जीवदया रास-1200ई० 👉स्थूल-स्थूलिभद्र रास-1209ई ० 👉नेमि -नेमिनाथ रास-1213ई० 👉गिरी-रेवंतगिरि रास-1231ई० 👉बुद्धि-बुद्धि रास-1241ई०