👉जन्म-इनके जन्म के विषय में मतभेद हैं।
शयामसुन्दर दास ,प्रभु दयाल मितल और कंठमणि शास्त्री के अनुसार सं. 1590
👉गुलाब राय तथा गोगुल नाथ ने इन्हें तुलसी का भाई माना ह।
गुलाब राय ने इन्हें तुलसी का भाई मानने के साथ साथ तुलसी का गुरू भाई भी माना है।
👉गोगुल नाथ ने "दो सौ बावन वैष्णवन "की वार्ता में बताया है कि तुलसी जी के कहने पर ही इन्होंने" श्री मद्भागवत "की कथा पद्य में लिखी थी।
👉"भक्तमाल "में नंददास को चन्द्रहास का भाई कहा गया है।
यथा-"चन्द्रहास अग्रज सुहद,
परम प्रेम पथ में पगे"
👉"गोसाईचरित "चरित मे तुलसी का गुरु भाई बताते हुए लिखा गया है-"शिक्षा गुरु बन्धु भये तिहिते ।"
👉इनकी प्रसिद्धि का आधार रासपंचाध्यी और भंवरगीत है
👉इनके विषय में प्रसिद्ध कथन है-"और कवि गाढ़िया नंददास जड़िया"।
👉सिद्धान्त पंचाध्यायी में कुछ नियम और कृष्ण की रासलीला का वर्णन है।
👉भंवरगीत -यह सबसे चर्चित रचना है।
इसमें दार्शनिकता और तार्किकता की प्रधानता है।
गुलाब राय के अनुसार-" गोपियों में बुद्धिवाद का बाहुल्य है।"
सूर के पश्चात भ्रमरगीत परम्परा में नंददास ही सर्वाधिक ख्याति प्राप्त कवि हैं।
👉सुदामा चरित:-यह सख्यभाव की रचना है।
👉विरह मंजरी-यह भावात्मक काव्य है।इंसमें कृष्ण वियोग एक ब्रजवासी की विरह दशा को भावात्मक शैली में प्रस्तुत किया गया है।
👉रूप मंजरी लघु आख्यानक काव्य है।
👉श्याम-सगाई-इसमें राधा कृष्ण की सगाई का वर्णन है।
👉रुकमणि मंगल -यह विवाह काव्य है।
👉रास पंचाध्यायी में भगवान श्री कृष्णा की रासलीला का प्रभावशाली शैली में वर्णन हुआ है।इसमे ब्रज भाषा उत्कर्ष रूप दृष्टव्य है।
👉वियोगी हरि ने रास पंचाधयायी को "हिन्दी का गीत गोविन्द "कहा है।
👉कोमल पदावली के कारण नंददास की तुलना जयदेव से की जाती है।
👉हिंदी मे भक्ति काव्य और लौकिक काव्य को जोड़ने वाले नन्ददास है।
👉रस मंजरी नायक नायिका भेद पर आधारित है।
👉अनेकार्थ मंजरी पर्याय शब्दकोश ग्रन्थ है।
👉सूरदास के अनुकरण पर इम्होने रोला -दोहा छंद का सयुंक्त प्रयोग किया है।
👉रूप मंजरी प्रबन्धकाव्य है जिसमें परकीया भाव की प्रधानता है।नायिका रूपमंजरी निर्भयपुर के राजा धर्मवीर की पुत्री है।
👉नंददास ने पांच मंजरियों की रचना की है।
👉अनेकार्थ मंजरी-228पद
श्यामसगाई-63पद
विरह मेंजरी-147
रूकमणि मंगल -90 पद
रसमंजरी-270पद
भाँवरगीत-216 पद
भाषा दशम स्कंध-1700 पद
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