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कुछ प्रमुख अपभ्रंश रचनाओं की काल क्रमानुसार ट्रिक

👉ट्रिक:-
परम योग पाकर रिठनेमि नाग महापुराण भविष्यत का दोहा ढ़ोल बजाकर उपदेश देते हुए सन्देश प्राप्त करता है।

👉परम-परमात्मा प्रकाश-जोइन्दु -6ठी शताब्दी
👉योग-योगसार -जोइन्दु -6ठी शताब्दी
👉पाकर -पऊम चरिउ-8वीं
👉रिठणेमि-रिठणेमि चरिउ -8वी
👉नाग -नागकुमार चरिउ -8वीं
👉महापुराण-महापुराण -पुष्पदन्त-10वीं
👉भविष्यत -भविष्यत कहा-धनपाल-10वी
👉दोहा -पहुड़ दोहा-रामासिंह -11वीं
👉ढोल -ढोला मारू रा दूहा-कुशललाभ-11वीं
👉उपदेश-उपदेश रसायन रास-जिनिदत्तसूरी-12वीं शताब्दी
👉संदेश-सन्देश रासक-अबुर्द रहमान-12वीं
👉प्राप्त -प्राकृत पैंगलम-शारंगधर

        

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बिहारी के विषय में महत्वपूर्ण कथन

ज न्म -1595 स्थान - ग्वालियर मृ त्यु,- 1663 जाति- माथूर चतुर्वेदी बिहारी सतसई का रचना काल -1662 भाषा - ब्रज छंद - दोहा 713 का०य स्वरूप - मुक्तक काव्य प्र मु ख रस - संयोग श्रृंगार रस विशेष :-                बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं ।       यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं। hindisahityarenu.blogspot.in हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है । बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले- कृष्ण कवि  बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि hindisahityarenu.blogspot.in बिहारी...

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