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नन्ददुलारे वाजपेयी आलोचना क्रम ट्रिक

👉नन्दुलारे वाजपेयी की आलोचनाएं:-
हिन्दी साहित्य 20वीं शताब्दी-1942(प्रथम कृति निबन्ध सग्रह)
जय शंकर प्रसाद-1939ई०
प्रेमचन्द -1950ई०
आधुनिक साहित्य-1950
महाकवि सूरदास -1952
महाकवि निराला-1965
नयी कविता-1973
कवि सुमित्रा नन्दन पंत -1976
रससिद्धान्त-1977
साहित्य का आधुनिक युग-1978
आधुनिक साहित्य सृजन और समीक्षा-1978
रीति और शैली -1979
नया साहित्य नए प्रश्न-1955
👉ट्रिक:- जय शंकर प्रसाद ने साहित्य की 20वीं शताब्दी प्रेमचन्द के नाम कर दी।जिसके कारण आधुनिक साहित्य के महाकवि सूरदास नया साहित्य नए प्रश्न के लिए महाकावि निराला की नयी कविता लेकर  सुमित्रा नन्दन पंत के पास गए और रससिद्धान्त बताएफिर साहित्य के आधुनिक युग में साहित्य का सृजन और समीक्षा करके रीति और शैली अपनाई

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बिहारी के विषय में महत्वपूर्ण कथन

ज न्म -1595 स्थान - ग्वालियर मृ त्यु,- 1663 जाति- माथूर चतुर्वेदी बिहारी सतसई का रचना काल -1662 भाषा - ब्रज छंद - दोहा 713 का०य स्वरूप - मुक्तक काव्य प्र मु ख रस - संयोग श्रृंगार रस विशेष :-                बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं ।       यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं। hindisahityarenu.blogspot.in हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है । बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले- कृष्ण कवि  बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि hindisahityarenu.blogspot.in बिहारी सतसई की रसिकों  के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी बिहारी को हिन्दी का चौथ

प्रमुख समीक्षक नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी-1906-1967ई० 👉वाजपेयी जी की समीक्षा शैली व्याख्यात्मक और विवेचनात्मक है। 👉गणपति चन्द्र गुप्त ने इन्हें अपने युग का सजग समीक्षक  कहा है। 👉वाजपेयी जी किसी वाद में आस्था नही रखते थे । वे छायावादी ,स्वच्छंदतावादी ,सौष्ठववादी,समन्वयवादी ,रसवादी,अध्यात्मवादी समीक्षक कहे जा सकते हैं। 👉यह प्रथम छायावादी समीक्षक है।यह छायावादी-संवेदना दृष्टि के आलोचक है। 👉इनहोने छायावाद का सर्वप्रथम मानवीय और सांस्कृतिक प्रेरणा के रूप में विश्लेषण किया 👉इनकी समीक्षा-दृष्टि की महत्त्वपूर्ण विशेषता सौन्दर्यानुसंधान है। 👉दुलारे जी ने प्रेमचन्द को छोड़कर कोई स्वतन्त्र पुस्तक नही लिखी।इनकी पुस्तकें समय समय पर लिखें गए इनके निबंधों का संग्रह हैं। 👉ये श्यामसुन्दर दास से प्रभावित थे। 👉इन्होने लिखा है :-"मेरा आगमन हिन्दी के छायावादी कवि प्रसाद ,निराला,पंत की कविता के विवेचन के रूप में हुआ था। 👉जय शंकर प्रसाद इनके प्रिय कवि है। 👉इन्होंने प्रेमचन्द के आदर्शवाद की और सर्वप्रथम संकेत किया। 👉शुक्ल जी की सीमाओं को भी इन्होंने उद्घाटित किया है। 👉प्रसाद निराला और पंत पर 1931 में

हिन्दी रचनाओं में पहली बार बारहमासा वर्णन तथा कुछ अपभ्रंस रचना क्रम ट्रिक

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