जन्म -1595
स्थान -ग्वालियर
मृत्यु,-1663
जाति-माथूर चतुर्वेदी
बिहारी सतसई का रचना काल -1662
भाषा -ब्रज
छंद -दोहा 713
का०य स्वरूप -मुक्तक काव्य
प्रमुख रस -संयोग श्रृंगार रस
विशेष :-
बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं ।
यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं।
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हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है ।
बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले-कृष्ण कवि
बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास
कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में
बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा
बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द
प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती
बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि
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बिहारी सतसई की रसिकों के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी
बिहारी को हिन्दी का चौथा रतन मानने वाले -लाला भगवानदीन
बिहारी को रीतिकाल का सर्वाधिक लोकप्रिय कवि कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी
बिहारी के दोहों पर प्रसन्न होकर राजा जयसिंह ने इन्हें कौनसा गाँव पुरस्कार में दिया -काली पहाड़ी
इनके दोहे क्या है रस के छोटे छोटे छींटे हैं कथन किसका है-रामचन्द्र शुक्ल का कथन है
"इनकी कविता श्रृंगारी है किन्तु प्रेम की उच्च भूमि पर नही पंहुचती , नीचे रह जाती है "कथन है- रामचन्द्र शुक्ल का
बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है कथन है -रामचन्द्र शुक्ल का
शुक्ल ने बिहारी सतसई के किस पक्ष का उपहास किया है-वियोग वर्णन का
किसने बिहारी को ऐसा पीयूष वर्षी मेघ कहा है जिसके उदय होते ही सूर और तुलसी आच्छादित हो जाते हैं- राधाचरण गोस्वामी ने
बिहारी सतसई की "रामचरितमानस" के बाद सबसे अधिक प्रचारित कृति मानने वाले - श्यामसुन्दर दास
बिहारी को हिन्दी साहित्य का बेजोड़ कवि मानने वाले - विश्वनाथ सिंह
बिहारी की वागविभूति के लेखक- विश्वनाथ सिंह
सम्पूर्ण विश्व में बिहारी सतसई के समकक्ष कोई रचना प्राप्त नही होती कथन है- ग्रियर्सन का
फिरंगे सतसई के रचनाकार -आनंदीलाल शर्मा
बिहारी सतसई की टीका "अमरचन्द्रिका"नाम से लिखने वाले -सूरति मिश्र
बिहारी सतसई की सरल टीका -लाला भगवानदीन
बि हारी सतसई की टीका "लाल चान्द्रिका"नाम से लिखने वाले-लल्लू लाल
राम सतसई - राम सहाय दास
सतसई बरनार्थ - ठाकुर
बिहारी सतसई की सर्वश्रेष्ठ टीका लिखने वाले जगन्नाथ दास रत्नाकर
जगन्नाथ दास रत्नाकर ने किस नाम से टीका लिखी - बिहारी रत्नाकर
बिहारी रत्नाकर खड़ी बोली में लिखी गई है।
बिहारी सतसई की टीका ब्रज भाषा में लिखने वाले - राधा कृष्ण चौबे
मुंशी देवी प्रसाद ने उर्दू शेरों में बिहारी सतसई का अनुवाद किया है।
आनंदीलाल शर्मा की फिरंगे सतसई फारसी में रचित है ।
https://youtu.be/J0NIlAQ5an0
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Bhut hi achhi information thank you
ReplyDeleteधन्यवाद सर् आपका जो इतना अच्छा pdf दिया है
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी 🙏
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteधन्यवाद
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