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Showing posts from August, 2018

कामायनी के विषय में महत्वपूर्ण कथन

👉कामायनी महाकाव्य -जय शंकर प्रसाद 👉सर्ग - 15 👉मुख्य छंद - तोटक 👉कामायनी पर प्रसाद को मंगलाप्रसाद पारितोषिक पुरस्कार मिला है 👉काम गोत्र में जन्म लेने के कारण श्रद्धा को कामायनी कहा गया है। 👉कामायनी के पांडूलिपी संस्करण का प्रकाशन 1971 में हुआ। 👉प्रसाद ने कामायनी में आदिमानव मुन की कथा के साथ साथ युगीन समस्याओं पर प्रकाश डाला है। 👉कामायनी का अंगीरस शांत रस है। 👉कामायनी दर्शन समरसता - आनन्दवाद है। 👉कामायनी की कथा का आधार ऋग्वेद,छांदोग्य उपनिषद् ,शतपथ ब्राहमण तथा श्री मद्भागवत हैं। 👉घटनाओं  का चयन शतपथ ब्राह्मण से किया गया है। 👉कामायनी की पूर्व पीठिका प्रेमपथिक है। 👉कामायनी की श्रद्धा का पूर्व संस्करण उर्वशी है। 👉कामायनी का हृदय लज्जा सर्ग है। hindisahityarenu.blogspot.in कामायनी के विषय में कथन:- 1. कामायनी मानव चेतना का महाकाव्य है।यह आर्ष ग्रन्थ है।--नगेन्द्र 2. कामायनी फैंटेसी है।-   मुक्तिबोध 3.कामायनी एक असफल कृति है।- इन्द्रनाथ मदान 4. कामायनी नये युग का प्रतिनिधि काव्य है।- नन्द दुलारे वाजपेयी 5.कामायनी ताजमहल के समान है- सुमित्रानन्दन पंत hindis

भक्ति काल के प्रमुख सम्प्रदायों के कवि ट्रिक के साथ

निम्बार्क सम्प्रदाय के प्रवर्तक - निम्बार्काचार्य निम्बार्क का अर्थ - नीम पर सूर्य के दर्शन करवाने वाला ।  निम्बार्क का मूल नाम - नियमानन्द        जन्म काल - 1250ई.  निम्बार्क सम्प्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी सलेमाबाद राजस्थान में है । निम्बार्क की श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र का अवतार माना जाता है ।  विष्णु के स्थान पर श्री कृष्ण को सगुण भक्ति में प्रतिष्ठित करने वाले निम्बार्क जी हैं। निम्बार्क सम्प्रदाय के प्रमुख कवि ट्रिक :- hindisahityarenu.blogspot.in "निम्बार्क के श्री भट्ट हरि परशुराम के पास गए " श्री भट्ट :- जन्म - ध्रुवटीला मथुरा (1530) गुरु का नाम - केशव काश्मीरी ग्रन्थ- युगल शतक , आदिवाणी  इन्हें हित सखी का अवतार माना जाता है । hindisahityarenu.blogspot.in  हरि व्यास देव :- गुरु का नाम - श्री भट्ट ग्रन्थ - महावाणी परशुराम देव :- इनके गुरु - हरि व्यास देव ग्रन्थ - परशुराम सागर (राजस्थानी प्रधान सधुकड़ी भाषा में)  निम्बार्क सम्प्रदाय की गद्दी सलेमाबाद में स्थापित करने वाले परशुराम देव ही माने जाते हैं हरिदासी या सखी सम्प्रदाय :-        प्र

हिन्दी साहित्य के पाणिनी

👉अपभ्रंश का पाणिनी- पिशेल कहने वाले - हजारी प्रसाद द्विवेदी 👉प्राकृत का पाणिनी - हेमचन्द्र कहने वाले विद्वान - हरिवंश राय बच्चन 👉हिन्दी का पाणिनी - किशोरी दास वाजपेयी हिन्दी शब्दानुशासन के आधार पर 👉हिन्दी व्याकरण का पाणीनी - कामता प्रसाद गुरु hindisahityarenu.blogspot.in नोट :-            किशोरी दास वाजपेयी को "अक्खड़ कबीर " और आभिमान मेरू कहा जाता है।

बिहारी के विषय में महत्वपूर्ण कथन

ज न्म -1595 स्थान - ग्वालियर मृ त्यु,- 1663 जाति- माथूर चतुर्वेदी बिहारी सतसई का रचना काल -1662 भाषा - ब्रज छंद - दोहा 713 का०य स्वरूप - मुक्तक काव्य प्र मु ख रस - संयोग श्रृंगार रस विशेष :-                बिहारी रीतिकाल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं ।       यह आचार्यत्व न स्वीकार करने वाले कवि हैं। hindisahityarenu.blogspot.in हिन्दी में समास पद्धति की शाक्ति का सर्वाधिक परिचय बिहारी ने दिया है । बिहारी सतसई की प्रथम टीका लिखने वाले- कृष्ण कवि  बिहारी सतसई के दोहों का पलवन रोला छंद में करने वाले-अंबिकादत व्यास कृष्ण कवि ने बिहारी सतसई की टीका किस छंद में लिखी - सवैया छंद में बिहारी सतसई को शाक्कर की रोटी कहने वाले -पद्मसिंह शर्मा बिहारी के दोहों का संस्कृत में अनुवाद करने वाले- परमानन्द प२मानन्द ने बिहारी सतसई के दोहों का संस्कृत में किस नाम से अनुवाद किया - श्रृंगार सप्तशती बिहारी सतसई के प्रत्येक दोहें पर छंद बनाने वाले - कृष्ण कवि hindisahityarenu.blogspot.in बिहारी सतसई की रसिकों  के हृदय का घर कहने वाले -हजारी प्रसाद द्विवेदी बिहारी को हिन्दी का चौथ